मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया जमुना के तट पे विराजे हैं
मोर मुकुट पर कानों में कुण्डल कर में मुरलिया साजे है
मानव जीवन
सबसे सुंदर और सर्वोत्तम होता है. मानव जीवन की खुशियों का कुछ ऐसा जलवा
है कि भगवान भी इस खुशी को महसूस करने समय-समय पर धरती पर आते हैं.
शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने भी समय-समय पर मानव रूप लेकर इस धरती
के सुखों को भोगा है. भगवान विष्णु का ही एक रूप कृष्ण जी का भी है जिन्हें लीलाधर और लीलाओं का देवता माना जाता है. Read: Krishna and Radha
कृष्ण को
लोग रास रसिया, लीलाधर, देवकी नंदन, गिरिधर जैसे हजारों नाम से जानते हैं.
कृष्ण भगवान द्वारा बताई गई गीता को हिंदू धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ और पथ
प्रदर्शक के रूप में माना जाता है. कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) कृष्ण जी के ही जन्मदिवस के रूप में प्रसिद्ध है.
When is Janmashtami 2012
मान्यता है कि द्वापर युग के अंतिम चरण में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण
का जन्म हुआ था. इसी कारण शास्त्रों में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन
अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी मनाने का उल्लेख मिलता है. पुराणों
में इस दिन व्रत रखने को बेहद अहम बताया गया है. इस साल जन्माष्टमी (Janmashtami) 10 अगस्त को है.
श्रीकृष्ण
का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी व
श्रीवसुदेव के पुत्र रूप में हुआ था. कंस ने अपनी मृत्यु के भय से अपनी
बहन देवकी और वसुदेव को कारागार में कैद
किया हुआ था. कृष्ण जी जन्म के समय घनघोर वर्षा हो रही थी. चारो तरफ़ घना
अंधकार छाया हुआ था. भगवान के निर्देशानुसार कुष्ण जी को रात में ही मथुरा
के कारागार से गोकुल में नंद बाबा के घर ले जाया गया.
नन्द जी की पत्नी यशोदा को एक कन्या हुई थी. वासुदेव श्रीकृष्ण
को यशोदा के पास सुलाकर उस कन्या को अपने साथ ले गए. कंस ने उस कन्या को
वासुदेव और देवकी की संतान समझ पटककर मार डालना चाहा लेकिन वह इस कार्य में
असफल ही रहा. दैवयोग से वह कन्या जीवित बच गई. इसके बाद श्रीकृष्ण का
लालन–पालन यशोदा व नन्द ने किया. जब श्रीकृष्ण जी बड़े हुए तो उन्होंने कंस
का वध कर अपने माता-पिता को उसकी कैद से मुक्त कराया.
जन्माष्टमी में हांडी फोड़
श्रीकृष्ण जी का जन्म मात्र एक पूजा अर्चना का विषय नहीं बल्कि एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस उत्सव में भगवान के श्रीविग्रह
पर कपूर, हल्दी, दही, घी, तेल, केसर तथा जल आदि चढ़ाने के बाद लोग बडे
हर्षोल्लास के साथ इन वस्तुओं का परस्पर विलेपन और सेवन करते हैं. कई
स्थानों पर हांडी में दूध-दही भरकर, उसे काफी ऊंचाई पर टांगा जाता है.
युवकों की टोलियां उसे फोडकर इनाम लूटने की होड़ में बहुत बढ-चढकर इस उत्सव
में भाग लेती हैं. वस्तुत: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत केवल उपवास का
दिवस नहीं, बल्कि यह दिन महोत्सव के साथ जुड़कर व्रतोत्सव बन जाता है.
Navratan Singh & Manoj Shirohi Fenchari Mathura
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